Teacher TET Big News: देश भर के शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य कर दिया है। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के शिक्षक पात्रता संबंधी परीक्षा हालिया फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल से अधिक सेवा शेष रहने वाले शिक्षकों के लिए दो साल में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना जरूरी कर दिया था। सरकार के अनुसार 2010 से पहले नियुक्त पुराने शिक्षकों पर गलत तरीके से टीईटी लागू की गई है। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। 1 सितंबर को आए आदेश पर सरकार ने सवाल उठाए हैं, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से अधिक का समय रह गया है, उन सभी को 2 साल के भीतर टीईटी पास करना जरूरी होगा।
कोर्ट ने पुराने शिक्षकों पर भी लागू कर दी TET
तमिलनाडु सरकार के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त को गलत तरीके से उन सभी शिक्षकों पर लागू कर दिया है जिन्हें 2010 से पहले नियुक्त किया गया था। सरकार ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23(1) केवल भविष्य की नियुक्तियों से जुड़ी हुई है, वहीं धारा 23(2) प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी पर केंद्र सरकार को अस्थाई छूट देने का अधिकार रखती है। इसलिए 5 साल में योग्यता हासिल करने की बाध्यता उन्हीं पर लागू की जानी चाहिए जिन्हें छूट की अवधि में नियुक्त किया गया हो, ना कि उन पर जो पहले से ही वैध रूप से नियुक्त हो चुके हैं।
शिक्षा व्यवस्था पर न्यायालय के आदेश का बड़ा असर
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करके बताया है कि वर्तमान में प्रदेश में 4,49,850 सरकारी शिक्षक कार्य कर रहे हैं, जिनमें से 3,90,458 शिक्षक टीईटी पास नहीं हैं। अगर उनकी सीमाएं समाप्त कर दी जाती हैं तो लाखों बच्चों की पढ़ाई खराब हो जाएगी। सरकार का कहना है कि यह न केवल शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन होगा, बल्कि पूरी राज्य की शिक्षा व्यवस्था ही पूरी तरह से ध्वस्त अवस्था में पहुंच जाएगी।
पुराने शिक्षकों पर टीईटी की शर्त लागू नहीं
सरकार ने याचिका में कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना एक प्रमुख उद्देश्य है, लेकिन पहले से नियुक्त किए गए शिक्षकों पर टीईटी की परीक्षा लागू करना स्पष्ट रूप से गलत है। इसके बजाय इन सर्विस ट्रेनिंग डिप्लोमा कोर्स या ब्रिजिंग प्रोग्राम जैसे विकल्प अपनाए जाएँ, जिससे शिक्षकों की आजीविका और बच्चों की पढ़ाई दोनों ही पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे।
सरकार ने की सुप्रीम कोर्ट से मांग
याचिका में राज्य ने स्पष्ट करने की मांग की है कि 5 साल में टीईटी की अनिवार्यता वाली शर्त केवल 1 अप्रैल 2010 के बाद नियुक्त हुए शिक्षकों पर लागू होनी चाहिए। पुराने सभी शिक्षकों को इस बारे में लाना न्याय संगत नहीं होगा और इसे शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरा संकट पड़ सकता है। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका पर क्या आदेश दिया जाता है, इसका असर देश भर के 98 लाख शिक्षकों पर पड़ेगा।