Primary Teacher Tet Mandatory: सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टेट जरूरी करने के बाद देश भर के शिक्षकों ने आरटीई संशोधन रद्द करने की मांग की है। देश भर के शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों द्वारा याचिका दाखिल की गई है। इसके साथ ही सरकार की ओर से अगर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद टीईटी मामले में बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है। शिक्षकों की मांग है कि केंद्र सरकार 2017 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम में किए गए संशोधन को निरस्त करें ताकि देश भर के शिक्षकों की सेवा सुरक्षित रह सके। बता दें सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में लगभग 186000 जबकि देश भर में 98 लाख शिक्षकों की नौकरी खतरे में है, जिसको लेकर शिक्षक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
रिव्यू खारिज तो क्या होगा अगला कदम
वही इस मामले पर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शिक्षकों और सरकार द्वारा डाली गई रिव्यू पिटीशन खारिज हो जाती है तो आगे शिक्षकों के लिए टेट परीक्षा पास करनी होगी। विशेषज्ञ के अनुसार केंद्र सरकार एनसीटीई के द्वारा जब तक आरटीई एक्ट के 23(2) की विस्तृत व्याख्या नहीं की जाएगी तब तक शिक्षकों को राहत नहीं मिलने वाली है। उनका कहना है कि एनसीटीई द्वारा जब तक कोर्ट में 23(2) की पूर्ण व्याख्या नहीं की जाती, तब तक सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटीशन पर कोई भी पुनर्विचार करना बहुत मुश्किल है। अगर रिव्यू पिटीशन खारिज होती है तो देश भर के 98 लाख शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास करनी होगी। अगर एनसीटीई द्वारा आरटीई एक्ट के 23(2) की व्याख्या करते हुए 2010 से पहले शिक्षकों को TET से राहत दी जाती है तो रिव्यू पिटिशन में भी मॉडिफिकेशन की संभावना रहेगी।
कौन-कौन से शिक्षक होंगे प्रभावित
उत्तर प्रदेश सरकार ने टीईटी मामले में पुनर्विचार याचिका पहले ही दाखिल कर दी थी। अब शिक्षक संगठनों ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। शिक्षकों का कहना है कि बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो इस आदेश से प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें बीएड योग्यता धारी, विशेष रूप से 1999, 2004 और 2007 के बीटीसी धारक अध्यापक, बीपीएड प्रशिक्षित शिक्षक और मृतक कोटे से नियुक्त इंटरमीडिएट योग्यता धारी सभी शिक्षक शामिल हैं।
कब आएगा पुनर्विचार याचिका का निर्णय
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। साथ ही कई शिक्षक संगठनों में भी पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की हैं। बता दें पुनर्विचार याचिका दाखिल होने के बाद सीधे उन्हें जजों के चेंबर में जाती है जिन्होंने उस आदेश पर फैसला दिया था। इसके बाद जज पुनर्विचार याचिका को चेंबर में ही देखते हैं। अगर उन्हें लगता है कि साक्ष्यों के अनुसार कोई भी बदलाव आदेश में संभव है तो वह उसे एक्सेप्ट करते हैं और ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए लगा देते हैं। अगर कोर्ट को लगता है कि पुनर्विचार याचिका में कुछ भी साक्ष्य नया नहीं है तो वह चेंबर में ही उसे खारिज कर देते हैं। पुनर्विचार याचिका के दौरान कोई भी वकील बहस नहीं करता, केवल लिखित रूप में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाती है। इस पर जजों की बेंच निर्णय ले लेती है। हालांकि इसके लिए कोई निश्चित तारीख निर्धारित नहीं होती। पुनर्विचार याचिका दोष पूर्ण होने के बाद जजों के चेंबर में चली जाएगी। इसके बाद बिना किसी तिथि के निर्धारण के पुनर्विचार याचिका पर जज निर्णय लेकर आदेश दे देंगे। उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर में पुनर्विचार याचिका पर निर्णय आ सकता है। अगर पुनर्विचार याचिका में कोई भी मॉडिफिकेशन नहीं होता है तो 98 लाख शिक्षकों को टीईटी पास करना अनिवार्य होगा।